कोई चाह के भी चाह ना सका - Latest Shayari in Hindi
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कोई चाह के भी चाह ना सका,
कोई पा के भी पा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
चाहने को तो मैंने भी चाहा था,
खुशियों के बदले सुकूं मांगा था।
सुकूं राश आया ना ख़ुशी मिली,
अगर कुछ मिला तो वो बहाना था।।
गम ऐ जख्म दिल में बहुत हैं,
चाह के भी किसी को दिखा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
कहीं मैं कोई किस्सा ना बन जाऊ,
डूबती कश्ती का हिस्सा ना बन जाऊ।
दर्दो के चले हैं तूफान बहुत यहाँ,
कहीं बिच मझधार मैं ना बह जाऊ।।
तारीफ बटोरने में इस कदर खो गया,
दिल ऐ नादां को मैं बचा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
कोई चाह के भी चाह ना सका,
कोई पा के भी पा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
चाहने को तो मैंने भी चाहा था,
खुशियों के बदले सुकूं मांगा था।
सुकूं राश आया ना ख़ुशी मिली,
अगर कुछ मिला तो वो बहाना था।।
गम ऐ जख्म दिल में बहुत हैं,
चाह के भी किसी को दिखा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
कहीं मैं कोई किस्सा ना बन जाऊ,
डूबती कश्ती का हिस्सा ना बन जाऊ।
दर्दो के चले हैं तूफान बहुत यहाँ,
कहीं बिच मझधार मैं ना बह जाऊ।।
तारीफ बटोरने में इस कदर खो गया,
दिल ऐ नादां को मैं बचा ना सका।
ये नशीब की बात है यारो,
दिल को कोई समझा ना सका।।
कोई चाह के………………….. ।
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